नई दिल्ली (Better News): मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग का फैसला न लेने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार और रिज़र्व बैंक को फटकार लगाई है।
कोर्ट ने सुनवाई 1 सितंबर के लिए टालते हुए कहा है कि सरकार सिर्फ व्यापारिक नज़रिए से नहीं सोच सकती। इससे पहले 17 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर विचार के लिए 2 महीने का समय दिया था। कोर्ट ने तब कहा था कि इस दौरान सरकार और रिज़र्व बैंक स्थिति की समीक्षा करें और देखें कि लोगों को किस तरह राहत दी जा सकती है।
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आज इस मसले पर हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने मामले में अब तक कोई निर्णय न होने पर कड़ी नाराजगी जताई।
सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा, ‘आप रिज़र्व बैंक की आड़ में छुप नहीं सकते। लॉकडाउन लगाना सरकार का फैसला था। लोगों को हुई परेशानी की वजह वही है। अब आप इसे बैंक और ग्राहकों के बीच का मसला बता कर पल्ला नहीं झाड़ सकते।’
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पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने ब्याज वसूलने पर आमादा बैंकों पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘बैंक हज़ारों करोड़ रुपये NPA में डाल देते हैं। लेकिन कुछ महीनों के लिए स्थगित EMI पर ब्याज लेना चाहते हैं’
कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत पर्याप्त शक्ति है। वह रिज़र्व बैंक के फैसले पर निर्भर रहे बिना अपनी तरफ से लोगों को राहत दे सकती है।
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